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कुण्डली: टिप्पणी महिमा - सलिल

भोजन हजम न हो रहा, बिना टिप्पणी मीत।

भला-बुरा कुछ तो कहो, भावी आज अतीत॥

भावी आज अतीत, व्यतीत समय हो अपना।

मिले टिप्पणी, लगे हुआ है पूरा सपना।

नहीं टिप्पणी मिले सजन से रूठे साजन।

'सलिल' टिप्पणी बिना हजम हो रहा न भोजन।

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